सोच रहा हुँ थोड़ा बदल के देखूँ फर्ज़ की क़ैद से निकल के देखूँ। सोच रहा हुँ थोड़ा बदल के देखूँ फर्ज़ की क़ैद से निकल के देखूँ।
यह ज़िन्दगी है कई रंग दिखलायेगी । यह ज़िन्दगी है कई रंग दिखलायेगी ।
I am deleting my poems. I am deleting my poems.
इस किताब के कुछ पन्नो को, इसलिए कोरा ही रहने दिया...। इस किताब के कुछ पन्नो को, इसलिए कोरा ही रहने दिया...।
परवाने को भी होश कहाँ था, जब तक शमा रही वह जीता रहा, शमा बुझते ही परवाना भी राख हुआ... परवाने को भी होश कहाँ था, जब तक शमा रही वह जीता रहा, शमा बुझते ही परवाना भी...
शैतान से देखो डर कर सब कर मेल रहे हैं । जीवन के पर्दे पर हम तुम खेल रहे हैं ।। शैतान से देखो डर कर सब कर मेल रहे हैं । जीवन के पर्दे पर हम तुम खेल रहे हैं ।...